पुलिस को पत्रकारों से सूत्र पूछने का अधिकार नहीं है – सीजेआई (सुप्रीम कोर्ट)
नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन एवं प्रशासनिक अधिकारियों को जमकर निशाना साधा और चेतवानी भी दी ।मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूर्ण की बेंच ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 19 और 22 के तहत पत्रकारों के मूल अधिकारों की स्वतंत्रता के खिलाफ पुलिस किसी भी पत्रकार के सूत्र नही पूंछ सकती है और न ही न्यायाल । तब तक जब तक कि पत्रकारों के खिलाफ बिना जांच और पुख्ता सबूत के दर्ज मुकदमे और गवाही की जांच नही हो जाती है । आज कल देखा जा रहा है कि पुलिस पत्रकारों की स्वतंत्रता हनन कर रही है क्यों कि अधिकतर मामले में पुलिस खुद को श्रेष्ठ बनाने के लिए ऐसा करती है जिस संबंध में उच्च न्यायालय ने अब अपने कड़े रुख दिखाने पर कहा है अगर पुलिस ऐसा करती पाई जाती है तो फिर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है ।
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महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर गुरूकुल कांगड़ी पहुंचे उपराष्ट्रपति
हरिद्वार। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय में आयोजित महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ यहां कुल सवा घंटे रहेंगे। विशेष विमान से वह 10 बजकर 10 मिनट पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से वह 11 बजे विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे।
उद्घाटन सत्र में विद्वत पद संचलन और संबोधन के बाद वह 12 बजकर 15 मिनट पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट के लिए रवाना होंगे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता लोकसभा सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह करेंगे। इसमें अति विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्यपाल ले.ज. सेनि गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा योग गुरु स्वामी रामदेव, विवि कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु के अलावा कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार मंच पर आसीन रहेंगे।
कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि 23 से 25 दिसंबर तक आयोजित वेद-विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ को तीन सत्र में आयोजित किया जा रहा है। इसमें करीब 700 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुति के लिए प्राप्त हो चुके हैं।
25 दिसंबर को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केरल के राज्यपाल आरिफ मलिक, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या कार्यक्रम का समापन करेंगे। इस बीच 24 दिसंबर को देश-विदेश के तमाम विद्वानों का सेमिनार में व्याख्यान होगा।
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उत्तराखण्ड स्पेशल टास्क फोर्स भारत के टॉप 3 साइबर इकाइयों में से एक घोषित
देहरादून। डाटा सिक्योरिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा उत्तराखंड एसटीएफ को भारत की टाप तीन साइबर इकाईयों में से एक घोषित किया है।
डाटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा देश भर से 40 विभिन्न स्टेट एवं एजेंसीज में से प्रथम 3 स्टेट एजेंसीज का चयन किया जिनके द्वारा एक्सीलेंस इन केपेसिटी बिल्डिंग फार ला इन्फोर्समेट एजेसी की श्रेणी में उत्तराखंड पुलिस का चयन भी हुआ। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड आयुष अग्रवाल की अगुवाई में एसटीएफ के अधीन साइबर थाने देहरादून में विगत एक वर्ष में निरंतर विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम अभियान चलाए गये हैं।
उत्तराखंड साइबर पुलिस के ढांचे में वर्तमान में ई-सुरक्षा चलाया जा रहा है जिस क्रम में एसटीएफ उत्तराखंड के लिए पुलिस की नोडल एजेंसी है जो लगातार भारत के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के साथ समन्वय स्थापित कर साइबर अपराधों के रोकथाम, उनके अनावरण एवं प्रशिक्षण में निरंतर प्रयास कर रही है। साइबर थाना देहरादून देश का सर्वप्रथम थाना था जिसने साइबर के मामलों में पीड़ित की मदद हेतु जीरो एफआईआर की प्रक्रिया को अपनाया जिसको बाद में गृह मंत्रालय के द्वारा भी सराहा गया है। सरकार के सीसीपीडब्लूसी प्रोजेक्ट के तहत दिए गए लक्षण को स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा 100 प्रतिशत पूर्ण किया गया है एवं कुछ लक्ष्य को 160 प्रतिशत पूर्ण किया गया हैं। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से साइबर थाना देहरादून द्वारा न्यायाधीशों अभियोजन अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों आदि को साइबर संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण भी प्रदान किया है। 300 पुलिस कर्मियों को प्रारंभिक प्रशिक्षण, 148 कर्मियों को बेसिक कम एडवासिड डिजिटल इन्वेसटिगेशन, जिलों में पढ़ाने वाले 30 कर्मियों को ट्रेनिंग आफ टेर्नर (टीओटी) प्रशिक्षण दिया गया है।
इसके अतिरिक्त पुलिस उपाधीक्षक साइबर थाना अंकुश मिश्रा द्वारा तीन दिवसीय साइबर प्रशिक्षण प्रोग्राम झारखंड पुलिस को रांची में दिया गया। देश की समस्त पुलिस एवं सेंट्रल एजेंसीज के लगभग 1000 ऑफिसर एवं कर्मियों को साइबर संबंधित प्रशिक्षण दिया गया। इसके अतिरिक्त एसटीएफ देहरादून द्वारा समयकृसमय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
यह सभी प्रयास अभियोगों के अनावरण के अतिरिक्त किया जा रहे हैं जहां साइबर थाने देहरादून द्वारा देश भर से गिरफ्तारियां की जा रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड आयुष अग्रवाल की अगुवाई में स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा किए जा रहे सभी प्रयासों को डाटा सिक्योरिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा सराहा गया है एवं भारत के प्रथम तीन साइबर एकायों में से चयन किया गया है।
फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने पर हैड कांस्टेबल के खिलाफ मामला दर्ज
देहरादून। यूकेएसएसएससी का फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने पर हैड कांस्टेबल के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अनुभाग अधिकारी प्रमित सिंह अधिकारी ने रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया कि सचिव, उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के व्हाटसएप पर स्नातक स्तरीय परीक्षा में आठ अभ्यर्थियों को नामांकित करते हुए फर्जी नियुक्ति पत्र प्राप्त हुआ। उक्त पत्र की जांच के लिए कार्यालय के पत्र द्वारा उप महानिरीक्षक, एस.टी.एफ. (साईबर सेल), देहरादून को अनुरोध पत्र प्रेषित किया गया। इसी क्रम में आयोग के 20 दिसम्बर, 2023 पुनः उप महानिरीक्षक, एस.टी.एफ. (साईबर सेल), देहरादून को पत्र प्रेषित कर जांच आख्या उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध किया गया। पुलिस उप महानिरीक्षक, एस.टी.एफ., उत्तराखण्ड पुलिस मुख्यालय, देहरादून ने अपने पत्र 20 दिसम्बर, 2023 के द्वारा अवगत कराया है कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 9 जुलाई 2023 को विभिन्न पदों पर चयन हेतु लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें महिला अभ्यर्थी माया खंकरियाल, भी सम्मिलित हुई थी, जो उक्त लिखित परीक्षा में सफल नहीं हुई। उक्त महिला अभ्यर्थी की ई मेल आईडी पर आयोग की मिलती-जुलती ईमेल आईडी से एक फर्जी नियुक्ति पत्र प्रेषित किया गया था, जिसके सम्बन्ध में जांच की गई तो ज्ञात हुआ कि उक्त ईमेल आईडी 31वीं वाहिनी पी.ए.सी. रुद्रपुर में नियुक्त हैड कांस्टेबल मनोज भटृ द्वारा अपने मोबाईल फोन से बनाया गया था। मनोज भटृ द्वारा उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की फर्जी भ्रामक ईमेल आईडी बनाकर नियुक्ति सम्बन्धी फर्जी कूटरचित दस्तावेज तैयार कर महिला अभ्यर्थी माया खंकरियाल को भेजकर धोखाधड़ी का संज्ञेय अपराध किया गया। जांच आख्या से स्पष्ट है कि सम्बंधित व्यक्ति द्वारा कूटरचना कर आयोग की छवि धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया गया है। आयोग द्वारा संदर्भगत प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज किए जाने का निर्णय गया है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुर्नरावृत्ति न हों। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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गो-माता को राष्ट्रमाता का सर्वोच्च सम्मान दिलाने के लिए होगा आंदोलनः संत गोपाल मणि
देहरादून। आजादी के 75 वर्षो बाद भी आजादी की सूत्रधार, अमृत की प्रदाता, हमारी आस्था व श्रद्धा का केन्द्र व राष्ट्र की सुख समृद्धि के मूल आधार तथा विकास की जननी गौ माता की हत्या का कलंक इस ऋषिकृमुनियों क तपोभूमि पर लग रहा है। जिसे समाप्त करवाकर गौ माता को राष्ट्रमाता का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करवाने के लिए हमारे राज्य के सभो गौ राष्ट्र भक्त कर्तव्यनिष्ठ सन्तो की नियुक्ति कर आगामी 6 फरवरी को श्री शंकराचार्य शिविर, माघ मेला क्षेत्र प्रयागराज में होने जा रही गो-संसद मे पहुंचाने का निर्णय लिया गया है।
यह जानकारी प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान पूरे विश्व में गौ सेवा की अलख जगाने वाले और गौ माता को राष्ट्र माता का सम्मान दिलाने के लिए संघर्षरत गौ सेवा अग्रदूत संत गोपाल मणि जी द्वारा दी गयी। उन्होने कहा कि हमारे प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्रों में इस गोकृप्रतिष्ठा आंदोलन अभियान का वातावरण निर्माण किया जायेगा। जिसके लिए चारो पीठों के शंकराचार्यो व राष्ट्र के सन्त महापुरूर्षो और प्रधान पीठों के आचार्यो का आदेश तथा इस कार्य की सफलता का दायित्व हमें प्राप्त हुआ है।
उन्होने बताया कि 4 जनवरी को वृंदावन में सभी प्रदेशों के गोभक्तों की एक विशेष सभा होगी। जिसमें आंदोलन के विभिन्न पहलुओं को स्पष्टता देते हुए कमर कसी जायेगी। उन्होने बताया कि 15 जनवरी से 23 जनवरी तक दिल्ली में गोकृप्रतिष्ठा आदोलन हेतू ग्यारह गो विशेषज्ञ समूहों की बैठक आयोजित की जायेगी। जिसके बाद 30 जनवरी को इस आंदोलन से जुड़े लोगों का प्रतिनिधिमंडल देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व विभिन्न प्रदेशो के मुख्यमत्रियों से मिलेगा। फिर 6 फरवरी को प्रयागराज में एक वृहद गोकृसंसद का आयोजन होगा। जिसमें गो संसद द्वारा पारित प्रस्तावों के अनुसार कार्य करते हुए गोमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने हेतू हर एक प्रयास किये जायेगें।
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उत्तराखण्ड शासन ने की आइपीएस अधिकारियों की पदोन्नती
देहरादून। उत्तराखण्ड सचिवालय में मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू की अध्यक्षता में आईपीएस अधिकारियों की डीपीसी की गई। इसके जरिए राज्य के कई पुलिस अधिकारियों की पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है।
जिन भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की डीपीसी हुई है, उनमें चार अधिकारी ऐसे हैं, जो डीआईजी पद से आईजी पद के लिए पदोन्नत हुए हैं। इसमें पुलिस उपमहानिरीक्षक स्वीटी अग्रवाल, अरुण मोहन जोशी, अनंत शंकर ताकवाले और राजीव स्वरूप शामिल हैं। इन सभी को 1 जनवरी 2024 से पुलिस महानिरीक्षक पद पर पदोन्नति दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इनमें से स्वीटी अग्रवाल फिलहाल प्रतिनियुक्ति पर गई हुई हैं। इनके अलावा पदोन्नति पाने वाले अधिकारियों में वर्ष 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी सुखबीर सिंह भी शामिल हैं, जिन्हें 1 जनवरी 2024 से पुलिस उपमहानिरीक्षक यानी डीआईजी के पद पर पदोन्नति दिए जाने का निर्णय लिया गया है।
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सरोवर नगरी में सैलानियों की भीड़ उमड़नी शुरू
नैनीताल। सरोवर नगरी में सैलानियों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है। वीकेंड पर नगर के कई होटल एडवांस में बुक हो चले हैं। क्रिसमस पर्व के अवकाश के चलते वीकेंड लंबा हो चला है।
सैलानियों की आमद बढ़ने से नगर में चहल-पहल बढ़ गई है। कारोबारियों को उम्मीद है कि नए साल तक यह सिलसिला जारी रहेगा। शुक्रवार को यहां राजभवन, स्नोव्यू, केव गार्डन, हिमालय दर्शन, चिड़ियाघर, वाटर फाल व हनुमानगढ़ी में सैलानियों की चहल-पहल रही। शाम के समय सैलानियों ने माल रोड पर चहलकदमी का आनंद उठाया।
मौसम साफ होने के कारण सैलानी बड़ी संख्या में सूर्यास्त का नजारा देखने के लिए हनुमानगढ़ी भी पहुंचे हुए थे। नगर के समीपवर्ती अन्य पर्यटन स्थलों में भी सैलानियों की चहल पहल रही। मुक्तेश्वर, रामगढ़, भवाली, कैंची धाम, सातताल, पंगोठ व भीमताल में भी सैलानी नजर आए। होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के पीआरओ रुचिर साह के अनुसार क्रिसमस व नए साल में वीकेंड होने की वजह से इस बार बंपर कारोबार की उम्मीद है।
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सैकड़ों युवाओं ने भरी हुंकार, राजधानी देहरादून होगा प्रदर्शन
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हल्द्वानी। उत्तराखंड में मूल निवास की परिभाषा 1950 करने की मांग न सिर्फ गढ़वाल बल्कि आप कुमाऊं में भी तूल पकडने लगी है, बताते चले की काफी लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी सहित उत्तराखंड के तमाम संगठन मूल निवास व भू- कानून लागू करने की मांग उठा रहे हैं । हाल ही में सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी कर भी यह कहा गया कि जिनके पास मूल निवास है उन्हें स्थाई निवास की जरूरत नहीं है, साथ हि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में यह कहा कि जल्द ही समिति बनाकर इस पर वार्ता की जाएगी।
परंतु आंदोलनकारी का स्पष्ट कहना है कि यह आंदोलन यथावत चलता रहेगा व ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों से देहरादून कुच करने की बात कही। इस दौरान समाजसेवी शैलेंद्र सिंह दानू ने कहा कि सरकार पहाड़ी राज्य के लोगों के हितों से खिलवाड़ कर रही है मूल निवास 1950 लागू कर सरकार को युवाओं व पहाड़ी संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने चाहिए। वहीं समाजसेवी पीयूष जोशी ने कहा कि जिस प्रकार एससी,एसटी,ओबीसी को इस आधार पर आरक्षण मिलता है कि उनका वर्षों से शोषण किया गया था।
परंतु राज्य बनने के बाद सरकारी नौकरियों पर अन्य सभी जगह पर बाहरी राज्यों के लोगों ने डाका डालना शुरू कर दिया है,सरकार को चाहिए की मूल निवास की तिथि 1950 तत्काल की जाए व सरकारी नौकरियों मे मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाए,जिससे पहाड़ी राज्य की कल परिकल्पना का मकसद साकार हो सके। वही युवा पहाड़ी कार्तिक उपाध्याय ने कहा कि यह राज्य राज्य आंदोलनकारी की शहादत पर बना है व पहाड़ की जवानी व पहाड़ की कहानी कोई असल रूप में बयां करता है तो वह मूल निवास प्रमाण पत्र है जिसकी तिथि 1950 वर्ष से हो व राज्य की परिकल्पना के अनुसार तत्काल कार्यवाही करते हुए मूल निवास हेतु सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए। बैठक में स्पष्ट तौर पर सरकार द्वारा हाल ही में जारी शासनादेश का भी जिक्र हुआ व कहा गया कि यह शासनादेश केवल दिखला म्वटि है क्योंकि यह प्रावधान तो पूर्व से ही मौजूद संशोधन में था, परंतु राज्य सरकार द्वारा इसको जारी करने का उद्देश्य केवल और केवल आंदोलन को कमजोर करना है। वहीे मुख्यमंत्री द्वारा समिति बनाने व संवाद के रास्ते खुले होने की बात पर भी उन्होंने कहा कि सरकार मूल निवास के मुद्दे पर बैक फुट पर है इसलिए बात करने की बात कर रही है परंतु उत्तराखंड के लोगों को अध्यादेश चाहिए समिति व वार्ता नहीं इसलिए सभी युवा आने वाली रैली में भारी से भारी संख्या में प्रतिभाग करेंगे।
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उत्तरकाशी के जंगलों में लगी आग हुई विकराल
उत्तरकाशी। समूची उत्तरकाशी पिछले आठ दिनों से जंगलों की भीषण आग के धुएं की धुंध में है। जंगलों की भीषण आग आज भी यक्ष प्रश्न बनकर मुहँ बाए खड़ी है समाज और सरकार के आगे। आखिर कौन बुझाए इस आग को ये आज भी यक्ष प्रश्न है।
भीषण आग से जल रहे उत्तरकाशी के जंगलों की सुध लेने वाला कोई दिखाई नही दे रहा है।जिसके चलते उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। उत्तराखंड के कुल क्षेत्रफल 54834 वर्ग किलोमीटर में से 34434 वर्ग किलोमीटर हिस्से में वन क्षेत्र है। उत्तरकाशी में 88 प्रतिशत क्षेत्रफल में जंगल क्षेत्र है। किसी भी देश मे आदर्श पर्यावरण के लिए 33 प्रतिशत भूभाग में जंगल होने चाहिये।
इधर आजकल शीतकाल में भी उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने अति विकराल रूप धारण कर लिया है। उत्तरकाशी के जंगलों व जिला मुख्यालय से लगे पर्वतों पहाड़ों पर लगी भीषण आग की लपटें तो मानों आसमान को छूने को लालायित हैं। उत्तरकाशी जिले का वन महकमा कहीं कुंभकरणी नींद सो रहे हैं।
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देर रात पिंजरे में कैद हुआ गुलदार,सैम्पल लेकर जांच होगी नरभक्षी है या नही
नैनीताल। ग्रामवासी इन दिनों नरभक्षी बाघ के आतंक से परेशान है। इस बीच भीमताल के नरभक्षी प्रभावित क्षेत्र दुधली में देर रात एक गुलदार पिंजरे में कैद हो गया है। इस मामले में डी.एफ.ओ.चंद्रशेखर जोशी का कहना है कि दुधली में पकड़े गए गुलदार के सैम्पल लेकर जांच की जाएगी, कि क्या यह वही हमलावर नरभक्षी हैं।
नैनीताल जिले में भीमताल का एक बड़ा क्षेत्र इन दिनों तीन महिलाओं को हिंसक वन्यजीव द्वारा शिकार बनाए जाने को लेकर चर्चाओं में है। शासन ने पूर्व समय में गुलदार को नरभक्षी घोषित करते हुए मारने के आदेश दिए थे, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने स्वतः मामला संज्ञान लेकर उसे सीधे मारने से मना कर दिया गया था। साथ ही वन विभाग द्वारा नरभक्षी को गुलदार या बाघ चिन्हित कर पाने में असफल होने पर न्यायालय ने पहले उसे चिन्हित कर कब्जे में लेने को कहा था। जिसके बाद वन विभाग ने हिंसक वन्यजीव को पकड़ने के लिए 14 पिंजरे और 36 कैमरा ट्रैप लगाए। इसके अलावा कई गश्ती दल और ड्रोन कैमरे से हिंसक वन्यजीव की लोकेशन को तलाशा गया।
बताया जा रहा है कि शुक्रवार शाम तक तमाम कोशिशों के बावजूद विभाग को हिंसक वन्यजीव के पंजे, मल मूत्र, कोई फोटो या अन्य ठोस जानकारी नहीं मिल सकी थी। शनिवार सवेरे बाघ और गुलदार के असमंजस के बीच बड़ोंन रेंज के दुधली गांव में एक गुलदार पिंजरे में कैद हो गया। पकड़े गए तंदुरुस्त गुलदार के सैम्पल लेकर इस बात की टेस्टिंग कराई जाएगी कि क्या ये वही हिंसक वन्यजीव है, जिसकी विभाग को तलाश है।
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*प्रेस और पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक लोकसभा में पारित*
Posted On: 21 DEC 2023 5:40PM by PIB Delhi
एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत लोकसभा ने आज प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 के औपनिवेशिक युग के कानून को निरस्त करते हुए प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 पारित कर दिया। यह विधेयक पहले ही मानसून सत्र में राज्यसभा में पारित हो चुका है।
‘प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023’ के नए कानून में किसी भी कार्यालय में गए बिना ही ऑनलाइन प्रणाली के जरिए पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक आवंटन और पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल एवं समकालिक बना दिया गया है। इससे प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को इस प्रक्रिया को काफी तेज करने में मदद मिलेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रकाशकों, विशेषकर छोटे और मध्यम प्रकाशकों को अपना प्रकाशन शुरू करने में किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रकाशकों को अब जिला मजिस्ट्रेटों या स्थानीय अधिकारियों के पास संबंधित घोषणा को प्रस्तुत करने और इस तरह की घोषणाओं को प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, प्रिंटिंग प्रेसों को भी इस तरह की कोई घोषणा प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी; इसके बजाय केवल एक सूचना ही पर्याप्त होगी। वर्तमान में इस पूरी प्रक्रिया में 8 चरण शामिल थे और इसमें काफी समय लगता था।
लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, “यह विधेयक, गुलामी की मानसिकता को खत्म करने एवं नए भारत के लिए नए कानून लाने की दिशा में मोदी सरकार के एक और कदम को प्रतिबिंबित करता है।” मंत्री महोदय ने आगे कहा कि नए कानूनों के माध्यम से अपराध को समाप्त करना तथा व्यवसाय करने में आसानी व जीवन यापन में आसानी में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता रही है और तदनुसार, औपनिवेशिक युग के कानून को काफी हद तक अपराधमुक्त करने के प्रयास किए गए हैं। कुछ उल्लंघनों के लिए पहले की तरह अपराध सिद्ध करने के बजाय वित्तीय दंड का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा, भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक विश्वसनीय अपीलीय व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। व्यवसाय करने में आसानी के पहलू पर जोर देते हुए, श्री ठाकुर ने कहा कि स्वामित्व पंजीकरण प्रक्रिया, जिसमें कभी-कभी 2-3 साल लग जाते थे, अब 60 दिनों में पूरी की जाएगी।
1867 का कानून ब्रिटिश राज की विरासत थी, जिसका उद्देश्य प्रेस एवं समाचार पत्रों और पुस्तकों के मुद्रकों और प्रकाशकों पर पूर्ण नियंत्रण रखना था, साथ ही विभिन्न उल्लंघनों के लिए कारावास सहित भारी जुर्माना और दंड भी देना था। यह महसूस किया गया कि आज के स्वतंत्र प्रेस युग और मीडिया की स्वतंत्रता को बनाए रखने की सरकार की प्रतिबद्धता में, यह पुराना कानून वर्तमान मीडिया के परिदृश्य से पूरी तरह से मेल नहीं खाता है।
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*भारत की आध्यात्मिक और आर्थिक उन्नति में सन्तों का अभूतपूर्व योगदान रहा है*
ज्योतिष्पीठाधीश्वर शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’
हरिद्वार, उत्तराखंड 23 दिसम्बर 2023
भारत की आध्यात्मिक उन्नति में यदि साधु-सन्तों का योगदान है तो आर्थिक उन्नति में भी भारत के सन्त पीछे नहीं रहे हैं । भगवान वेदव्यास जी ने वेद के चार विभाग किए , 18 पुराणों व उप-पुराणों की रचना की और उसमें यह स्पष्ट रूप से निरूपित किया कि भारत के इन तीर्थों में जाकर दर्शन करने से पुण्यलाभ होगा । आज देश में जो भी धार्मिक यात्राएं चल रही है वे सभी हमारे पूर्वज ऋषि – मुनियों की देन है और आप सब भी इन बात को स्पष्ट रूप से समझते ही हैं कि उत्तराखण्ड में आर्थिक उन्नति के पीछे इन धार्मिक यात्राओं का बहुत बडा योगदान है । उक्त बातें ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने अपनी आगामी शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा को लेकर समस्त देशवासियों को सन्देश देते हुए कही है ।
*शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा ऐतिहासिक पहल है, ज्ञात इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य ऐसी यात्रा कर रहे हैं*
यह सर्वविदित है कि शीतकाल के छः मास उत्तराखण्ड के चार धामों की बागडोर देवताओं को सौंप दी जाती है और उन स्थानों पर प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को शीतकालीन पूजन स्थलों में विधि-विधान से उत्सव सहित विराजमान कर दिया जाता है । इन स्थानों पर भी देवता की पूजा छः मास तक पारम्परिक पुजारी आदि निरन्तर करते रहते हैं परन्तु सामान्य लोगों में यह धारणा बनी रहती है कि अब छः मास के लिए पट बन्द हुए तो देवताओं के दर्शन भी दुर्लभ होंगे ।
ज्योतिर्मठ के प्रभारी मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी ने बताया कि जन-सामान्य की इसी अवधारणा को हटाने और उत्तराखण्ड की *शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा* को आरम्भ कर देवताओं के इन शीतकालीन प्रवास स्थल पर दर्शन की परम्परा का शुभारम्भ करने के लिए ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008 जी आगामी मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तदनुसार दिनांक 26 दिसम्बर 2023 को देवभूमि उत्तराखण्ड के हरिद्वार स्थित अपने आश्रम में पहुँच रहे हैं ।
27 दिसम्बर 2023 से 2 जनवरी 2024 तक चलेगी ये यात्रा ।
देव-दर्शन से जहाँ एक ओर यात्रियों को धार्मिक-आध्यात्मिक लाभ होगा वहीं इस यात्रा से पहाड़ के स्थानीय लोगों का भौतिक लाभ भी निहित है ।
ज्योतिर्मठ के मीडिया प्रभारी डा बृजेश सती ने बताया कि शंकराचार्य जी महाराज के यात्रा को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं ।
*कार्यक्रम विवरण*
27/12/23 को प्रातः 8 बजे हरिद्वार स्थित- श्रीशंकराचार्य मठ, ज्ञानलोक कालोनी, फेज 2- , कनखल, हरिद्वार से निकलकर – ऋषिकेश – देहरादून – मसूरी – यमुना पुल – नैनबाग – डामटा – नौगाव – बड़कोट – छटांगा- खरादी – कुथनौर- कुनसाला – राना – हनुमान चट्टी – जानकी चट्टी – होते हुए यमुना जी की शीतकालीन पूजा स्थली खरसाली गांव आगमन ।
सायं 3:30 बजे से यमुना मन्दिर परिसर में धर्मसभा / यमुना जी की आरती के बाद खरसाली गांव में रात्रि-विश्राम करेंगे ।
विश्राम स्थल –
28/12/23 को प्रातः 10 बजे यमुना जी की शीतकालीन पूजा स्थली खरसाली गांव से प्रस्थान कर – बडकोट- होते हुए उत्तरकाशी आगमन ।
सायं 4 बजे श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय, उजेली, उत्तरकाशी में आयोजित अभिनन्दन सभा में पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज का आशीर्वचन सभी भक्तों को प्राप्त होगा ।
रात्रि-विश्राम – श्रीविश्वनाथ संस्कृत विद्यालय परिषद भवन , उजेली, उत्तरकाशी में ।
29/12/23
श्रीविश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय परिषद भवन से प्रातः 8 बजे भटवाडी- गंगनानी – हर्षिल होते हुए गंगा जी की शीतकालीन पूजा स्थली मुखवा गांव पहुँच आगमन ।
मध्याह्न 11 बजे से 1 बजे तक मुखवा गांव में भगवती जी की पूजा / आशीर्वचन सभा / महाआरती/ भण्डारा आदि सम्पन्न होगा ।
मध्याह्न 1 बजे मुखवा गांव से उत्तरकाशी की ओर रवाना होंगे ।
सायं 5 बजे गंगा घाट, कैलास आश्रम, उजेली, उत्तरकाशी में भगवती गंगा जी की महाआरती श्रीशंकराचार्य जी महाराज के सान्निध्य में सम्पन्न की जाएगी ।
रात्रि-विश्राम- उत्तरकाशी में ।
30/12/23 को प्रातः भगवान काशी विश्वनाथ जी के दर्शन के बाद 9 बजे उत्तरकाशी से चमियाला – घनशाली – जाखोली- तिलवाडा- अगस्तमुनि- होते हुए भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजा स्थली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मन्दिर में सायं 3:30 बजे स्वागत / आशीर्वचन/ भगवान ओंकारेश्वर जी की महाआरती/ प्रसाद वितरण किया जाएगा ।
रात्रि-विश्राम-
31/12/23 को प्रातः भगवान ओंकारेश्वर जी की महापूजा के बाद – प्रातः 9 बजे जोशीमठ प्रस्थान – दो रास्ते हैं मौसम के आधार पर तय किया जाएगा
पहला रास्ता – ऊखीमठ- अगस्तमुनि- तिलवाडा- रुद्रप्रयाग- गौचर – कर्णप्रयाग – नन्दप्रयाग – चमोली – पीपलकोटि होते हुए जोशीमठ
दूसरा रास्ता – ऊखीमठ- चोपता – मण्डल- गोपेश्वर- चमोली- पीपलकोटि- होते हुए जोशीमठ पहुँचेंगे ।
सायं पांच बजे ज्योतिर्मठ परिसर में काशी की विश्वप्रसिद्ध 5 महाआरती की जाएगी ।
रात्रि-विश्राम- तोटकाचार्य गुफा, ज्योतिर्मठ, बदरिकाश्रम, हिमालय
01/01/24 –
प्रातः 8 बजे नृसिंह मन्दिर परिसर में महापूजा /
प्रातः 9 बजे / विष्णुप्रयाग के विष्णु मन्दिर में महापूजा
प्रातः 10 बजे पाण्डुकेश्वर स्थित श्री योग-ध्यान बदरी मंदिर में महापूजा / प्रसाद वितरण कर ज्योतिर्मठ आगमन
दोपहर 12 बजे ज्योतिर्मठ में भण्डारा का आयोजन है , जहां सबको प्रसाद वितरित किया जाएगा ।
दोपहर 2 बजे पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज की पत्रकार वार्ता , ज्योतिर्मठ, बदरिकाश्रम, हिमालय में
रात्रि-विश्राम- ज्योतिर्मठ
02/01/23 को प्रातः 8 बजे ज्योतिर्मठ से प्रस्थान – जोशीमठ पीपलकोटि- चमोली- नन्दप्रयाग- कर्णप्रयाग – गौचर – रुद्रप्रयाग में अल्प विश्राम- पत्रकार मिलन के बाद रुद्रप्रयाग से – श्रीनगर- देवप्रयाग – ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार आगमन- श्रीशंकराचार्य निवास, ज्ञानलोक कालोनी, फेज- 2, कनखल , हरिद्वार में रात्रि-विश्राम
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सम्मानित साथियो जय badrivishal, सादर प्रणाम 🙏आपको जानकार खुशी होगी कि देश की आजादी से आज तक मीडिया को सबसे बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुईं हैं कि पहाड़ों की गूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र की प्रेस को संवैधानिक अधिकार देने की खबर का संज्ञान माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लेकर सरकार को कार्यवाही करने के लिए भेज दिया गया है,अब उस पर माननीय राष्ट्रपति जी ने निर्णय लेना है,2021 से अबतक लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं उसे सफल बनाने के लिए 6 जनवरी 2024 को हरिद्वार मे देश के पत्रकारों का maha कुम्भ का 10 से 4 बजे तक आयोजन किया जा रहा है ,इसकी जानकारी के लिए http://Fourthpillarofdemocracy.com वेबसाइट log in कर अपने ईमेल ID भरे और प्रेस को संवैधानिक अधिकार देने के लिए समर्थन करते हुए कुम्भ मे पहुँचे । “अभी नहीं तो फिर कभी नहीं ” हो सकता है। इस अभियान का देश की बड़ी कम्पनियों नें इस महान कार्य का संज्ञान लिया है और उनसे आपकी उपस्थित होने की संख्या को देखते हुए उनसे विज्ञापन मिलने पर पहले प्रेस महा कुम्भ में आने वाले पत्रकारों को उनके द्वारा किए गए खर्च का पुरूस्कार मिलेगा, उसके बाद सभी को बराबर विज्ञापन मिलता रहेगा य़ह महा कुम्भ मे आने के लिए भागीदारी सुनिश्चित कीजिएगा य़ह कुम्भ हमारे लिए वरदान साबित हो रहा है ।हमारा सौभाग्यशाली महापुरुषों का साथ हमे रोजगार बढ़ाने के लिए मिलने वाला है ।हमारा मानना है कि तब अपको कीसी के पास चापलूस बनाकर नही रहना होगा। 6 जनवरी से आपकी देश दुनिया में अलग प्रतिष्ठा बढ़ाने का काम शुरू होगा अब य़ह कुम्भ अपने मीडिया साथियों के सम्मान बढ़ाने के लिए हमने देश में पहली बार अभिनव आयोजनों में श्रेष्ठ करने का अल्प प्रयास है। जीत मणि पैन्यूली संयोजक प्रेस महाकुंभ हरिद्वार उत्तराखंड। आप रहने ,पंडाल आदि के लिए 2100 रुपए, paytam no Jeetamani 9456334283,Whatsap no, 7983825336 भेजने की कृपा करें आगे पढ़ें