कालिंजर के किले में कई रहस्यमई घटनाओं का उल्लेख है जहाँ घुँघरू बजते है और चीख़ पड़ते हैं

कालिंजर के किले में कई रहस्यमई घटनाओं का उल्लेख है जहाँ घुँघरू बजते है  और चीख़ पड़ते हैं

Kalinjar Fort दुनिया में ऐसी बहुत सारे रहस्यमई किले हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता और न ही लोगों ने उन्हें देखा हैं। ये किले बाहर से देखने में बहुत सुंदर होते हैं लेकिन इनके अंदर बहुत सारे ऐसे राज छुपे हुए हैं जिनके बारे में शायद ही कोई जानता हो। एक ऐसा ही किला भारत में हैं जो अपने आप में बहुत सारे राज छुपाए हुए हैं। ये किला बाहर से बहुत ही सुंदर हैं। ये किला बुदेंलखंड प्रांत में हैं जिसे कालिंजर के किले के नाम से जाना जाता है।


इस किले में कई प्राचीन मंदिर भी हैं। इनमें से कई मंदिर तीसरी से पांचवीं सदी यानी गुप्तकाल के हैं। यहां के शिव मंदिर के बारे में मान्यता है कि सागर-मंथन से निकले विष को पीने के बाद भगवान शिव ने यहीं तपस्या कर उसकी ज्वाला शांत की थी। यहां स्थित नीलकंठ मंदिर को कालिंजर के प्रांगण में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण और पूज्यनीय माना गया है। कहते हैं कि इसका निर्माण नागों ने कराया था। इस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है, जिसे बेहद प्राचीनतम माना गया है।

माना जाता हैं कि कालिंजर के किले में कई रहस्यमई छोटी-बड़ी गुफाएं भी मौजूद हैं। इन गुफाओं के रास्तों की शुरुआत तो किले से ही होती है, लेकिन यह कहां जाकर खत्म होती है, यह किसी को नहीं पता और ना ही कोई जानता। जमीन से 800 फीट की ऊंची पहाड़ी पर बना यह किला जितना शांत है, उतना ही खौफनाक भी। कहते हैं कि रात होते ही यहां एक अजीब सी हलचल पैदा हो जाती है। लोगों का मानना है कि यहां मौजूद रानी महल से रात को अक्सर घुंघरुओं की आवाज सुनाई देती है। यही वजह है कि यहां दिन के समय तो लोग घूमने के लिए आते हैं, लेकिन रात होने से पहले ही वो यहां से निकल जाते हैं। रात को यहा कोई भी नहीं रुकता।


इस किले में प्रवेश के लिए सात दरवाजे बने हुए हैं और ये सभी दरवाजे एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। यहां के स्तंभों और दीवारों में कई प्रतिलिपियां बनी हुई हैं। मान्यता है कि प्रतिलिपियों में यहां मौजूद खजाने का रहस्य छुपा हुआ है, जिसे अब तक कोई भी ढूंढ नहीं पाया है। बताया जाता हैं कि इस किले में सीता सेज नामक एक छोटी सी गुफा है जहां एक पत्थर का पलंग और तकिया रखा हुआ है। माना जाता है कि यहाँ माता सीता आराम करती थी। यहीं एक कुंड भी है जो सीताकुंड कहलाता है। किले में बुड्ढा और बुड्ढी नामक दो ताल हैं जिसके जल को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। मान्यता है कि इनका जल चर्म रोगों के लिए लाभदायक है और इसमें स्नान करने से कुष्ठ रोग भी ठीक हो जाता हैl  साभार 

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