श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के 25वां प्रकटोत्सव सादगी और श्रद्धाभाव से मनाया गया

श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के 25वां प्रकटोत्सव सादगी और श्रद्धाभाव से मनाया गया
  • संगतों ने श्री झण्डा साहिब पर टेका मत्था व श्री महाराज जी से लिया आशीर्वाद

देहरादून। दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज, देहरादून के सज्जादानशीन, गद्दीनशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज का 25वां प्रकटोत्सव श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। देश विदेश सहित उत्तराखंड व पड़ोसी राज्यों से श्री दरबार साहिब पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने श्री महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया व उन्हें जन्मदिवस (प्रकटोत्सव) की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर श्री दरबार साहिब में विशेष पूजा अर्चना आयोजित की गई व प्रसाद वितरण किया गया।

गौरतलब है कि आज ही के दिन 10 फरवरी 2000 को ब्रह्मलीन श्रीमहंत इन्दिरेश चरण दास जी महाराज ने श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज को अपना शिष्य स्वीकार किया था तथा उन्होंने गुरु के सानिध्य में दीक्षा ली थी। तभी से 10 फरवरी को श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के जन्मदिवस (प्रकटोत्सव) के रूप में मनाया जाता है। 25 जून 2000 को श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज, सज्जादानशीन के रूप मंे दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज, देहरादून (श्री दरबार साहिब) में गद्दीनशीन हुए थे।

सोमवार को श्री दरबार साहिब में सुबह से ही विशेष चहल पहल शुरू हो गई थी। सुबह नित्यकर्म की पूजा अर्चना के बाद श्री महाराज जी ने सर्वप्रथम श्री दरबार साहिब व श्री झण्डा साहिब पर मत्था टेका। इसके बाद मुख्य पुजारी जी ने प्रकटोत्सव की विशेष पूजा अर्चना की। श्री महाराज जी ने श्री दरबार साहिब की परंपरा के अनुसार अरदास भी कराई।

इस अवसर पर श्री महाराज जी ने कहा कि सेवाधर्म ही सबसे बड़ा धर्म है। श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने श्री गुरु राम राय जी महाराज का विशेष सिमरन करते हुए कहा कि उन्हें हमेशा ही श्री गुरु महाराज जी ने सूक्ष्म उपस्थिति में प्रेरणा दी है। उन्होंने संगतों को गुरु महिमा से भी आत्मसात करवाया। उन्होंने का कि अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाला ही गुरु है। उन्होंने कहा कि उन्हें दूनवासियों, राज्य व देश की जनता व श्रद्धालुओं से सदैव भरपूर स्नेह प्राप्त हुआ है।

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