नागालैंड की धरती पर शंकराचार्या ने गोप्रतिष्ठा ध्वज फहराया , मुख्यमंत्री को दिया सन्देश

नागालैंड की धरती पर शंकराचार्या ने गोप्रतिष्ठा ध्वज फहराया , मुख्यमंत्री को दिया सन्देश

नागालैंड के मुख्यमंत्री को ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी का सन्देश ।

ज्ञात हो कि नागालैंड की सरकार ने प्रवेश पर रोक लगा दिया है ।

नागालैंड की धरती पर गोप्रतिष्ठा ध्वज फहराया , मुख्यमंत्री को दि

या सन्देश*

नागालैंड में प्रवेश पर रोक लगाना अन्याय है* शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ‘१००८’

26 सितम्बर 2024
*गोध्वज स्थापना भारत यात्रा* के क्रम में ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज उत्तरपूर्व की संस्कृति से समृद्ध प्रदेश नागालैंड की आर्थिक राजधानी दीमापुर के एयरपोर्ट पर अपने विशेष विमान से उतरे और गोप्रतिष्ठा ध्वज स्थापित करने निकले इसी समय चुमुकेदिमा जिले के ADC श्री पोलाॅन जाॅन के नेतृत्व में प्रशासन की टीम ने रोका और कहा कि आपको नागालैंड की सरकार ने *गोध्वज स्थापना भारत यात्रा* सभा करने के लिए निषेधात्मक आदेश पारित कर रखा है।आपके आने से प्रदेश की संवेदनशील स्थिति बिगड़ने की सम्भावना है। एतदर्थ हम आपको यहां से कहीं और जाने नहीं देंगे।

पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि हमने ना तो नागालैंड की संस्कृति का विरोध किया, ना नागालैंड सरकार का विरोध किया, ना यहां के नागरिकों का विरोध किया, ना ही किसी तरह के अलगाव की बात की, तो आखिर किस आधार पर हमें यहां नहीं आने दिया जा रहा है?
ये हमारे संवैधानिक अधिकार का हनन है। भारत देश में जन्मा प्रत्येक व्यक्ति सभी स्थानों पर निर्बाध प्रवेश कर सकता है। हमें अपने लोगों से मिलने से रोकना हमारे मौलिक अधिकार का हनन है।
हम नागालैंड की सरकार से ये जानना चाहते हैं कि हमें किस कारण से रोका जा रहा है?
शंकराचार्य जी महाराज ने अपने संकल्प को दृढ करते हुए नागालैंड की धरती पर गोध्वज को फहराया।
ADC के अनुरोध पर मुख्यमंत्री नागालैंड श्री Neiphiu Rio जी के नाम 10 मिनट का वीडियो सन्देश दिया। गौमाता राष्ट्रमाता घोषित हो इस संकल्प को दोहराया। नागालैंड के सैकडों भगवद्भक्तों ने व्यक्तिगत सन्देश और फोन पर शंकराचार्य जी के आन्दोलन का समर्थन किया, लेकिन अपने प्राण भय के कारण वे सब सामने नही आ सके।
पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज ने उनके सद्भाव को स्वीकारा और सबको धर्मपालन का आदेश दिया।
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